नवरात्रि के 9 दिन कौन सी देवी की पूजा होती है,navaraatri ke 9 din kaun se devi ki pooja hoti hai

नवरात्रि के 9 दिन कौन सी देवी की पूजा होती है,navaraatri ke 9 din kaun se devi ki pooja hoti hai: नवरात्रि, भारतीय पौराणिक और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे देवी दुर्गा के पूजन के रूप में मनाया जाता है। यह आठ दिनों तक चलता है और अलग-अलग देवियों की पूजा करने का अवसर प्रदान करता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि नवरात्रि के नौ दिनों में कौन सी देवी की पूजा होती है और उनके महत्व के बारे में।

beautifull image of maa durga
beautifull image of maa durga

नवरात्रि और देवी पूजा का महत्व (Importance of Navratri and Devi Puja)

नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा के पूजन का है, और यह आठ दिनों के आयोजन के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर, भगवान शिव की पत्नी दुर्गा की पूजा की जाती है और उनकी आराधना की जाती है। नवरात्रि के इन आठ दिनों में अलग-अलग देवियों की पूजा भी की जाती है, जिनमें भद्रकाली, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री शामिल हैं। इन नौ देवियों की पूजा का महत्व विशेष होता है और हर दिन एक देवी का विशेष पूजन किया जाता है।

दिन 1: शैलपुत्री (Shailputri)

पहले दिन पर देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो भगवान शिव की पत्नी हैं। वे पर्वतराज हिमाचल की पुत्री हैं और इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।

दिन 2: ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)

दूसरे दिन, देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और व्रत की प्रतीका हैं। वे जाने-माने योगिनी हैं और ध्यान में मग्न रहती हैं।

दिन 3: चंद्रघंटा (Chandraghanta)

तीसरे दिन, देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जिनका नाम उनके चांद के आकार की छाया से आया है। वे मां पार्वती की रूप में अपनी भक्तों की रक्षा करती हैं।

दिन 4: कूष्मांडा (Kushmanda)

चौथे दिन, देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जिन्होंने जगत को अपने हंस से पैदा किया था। उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है क्योंकि वे सूखी महाकाली के रूप में दिखाई देती हैं।

दिन 5: स्कंदमाता (Skandamata)

पाँचवे दिन, देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जिन्होंने भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को जन्म दिया था। वे अपने बेटे के साथ बैठी रहती हैं और मां सरस्वती की भक्ति का प्रतीक होती हैं।

दिन 6: कात्यायनी (Katyayani)

छठे दिन, देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिन्होंने अपने तपस्या से भगवान कृष्ण को प्राप्त किया था। उन्हें कात्यायनी कहा जाता है क्योंकि वे महर्षि कात्यायन की पुत्री थीं।

दिन 7: कालरात्रि (Kalratri)

सातवें दिन, देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जिनका नाम उनकी काले रंग की त्वचा से आया है। वे शांत और उपयोगी हैं, लेकिन दुष्ट शक्तियों के खिलाफ भी लड़ती हैं।

दिन 8: महागौरी (Mahagauri)

महागौरी देवी नवरात्रि के आठवें दिन की पूजा की जाती है, और वे देवी पार्वती के एक स्वर्णिम रूप की प्रतिक्रिया हैं। उन्हें “महागौरी” कहा जाता है क्योंकि उनकी त्वचा सफेद और अत्यंत शुद्ध होती है।

महागौरी देवी एक संक्षिप्त सूंदर महिला के रूप में प्रतिष्ठित हैं और उनका दिव्य दर्शन हर किसी को आकर्षित करता है। वे चाँद्रमुखी होती हैं, और उनके प्रत्येक आदमी और स्त्री के दिल में भक्ति और श्रद्धा का स्थान होता है।

महागौरी देवी के चारण ध्यान और आशीर्वाद के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। उनकी पूजा के द्वारा व्यक्ति अपने जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति प्राप्त कर सकते हैं।

उनकी पूजा से व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की क्षमता मिलती है और वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। महागौरी देवी की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है नवरात्रि के आठवें दिन का, और इस दिन उन्हें स्वर्णिम और दिव्य रूप में पूजा जाता है।

इस दिन भक्त अपने दिल की गहराइयों से इस देवी की पूजा करके उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं, और उन्हें सफलता, सुख, और धर्म की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

महागौरी देवी का आशीर्वाद भक्तों को सफलता की ओर अग्रसर करता है और उन्हें जीवन में खुशियाँ और समृद्धि प्रदान करता है। नवरात्रि के आठवें दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह दिन भक्तों के लिए आशीर्वाद और सुख का प्रतीक होता है।

दिन 9: सिद्धिदात्री (Siddhidatri)

नौवें दिन को सिद्धिदात्री देवी के रूप में पूजा जाता है, जिन्हें सिद्धियों की देवी माना जाता है। सिद्धिदात्री का नाम “सिद्धि” और “दात्री” शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “सिद्धियों की प्रदात्री”।

इस देवी की छवि बहुत ही दिव्य और महान होती है। वे चार मुष्टियों में चार विद्याओं को प्रकट करती हैं – ब्रह्मा विद्या, महेश्वरी विद्या, कौमारी विद्या, और वैष्णवी विद्या। इन विद्याओं का अर्थ शक्ति, भगवान शिव, सुन्दरता, और धर्म है। इसलिए, सिद्धिदात्री देवी की पूजा से शक्ति, सौन्दर्य, और धर्म मिलते हैं।

वे सात सिंहासनों पर बैठी रहती हैं और अपने दिव्य वस्त्रों में खिली होती हैं। उनके चेहरे पर दिव्य हास्यमुख दिखाई देता है, जो देवी की दयालुता को प्रकट करता है। सिद्धिदात्री देवी के चरणों में श्रद्धा और भक्ति से पूजा की जाती है और उनसे सिद्धियाँ प्राप्त की जाती हैं।

सिद्धिदात्री देवी की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है और इसके साथ ही नवरात्रि का पारण किया जाता है। इस दिन भक्त देवी की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की कामना करते हैं।

सिद्धिदात्री देवी की पूजा से हमें सिद्धियाँ, ज्ञान, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है, और हम अपने जीवन को सफलता की ओर अग्रसर कर सकते हैं। यह दिन नवरात्रि का अवसर है जब हम अपने माता की पूजा करके उनके आशीर्वाद से जीवन को सफल और खुशहाल बना सकते हैं।

ये भी पढ़े:

FAQ

Q: नवरात्रि क्या है?

Ans: नवरात्रि, भारतीय हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो आठ दिनों तक चलता है.

Q: नवरात्रि के दौरान कौन-कौन सी देवी की पूजा होती है?

Ans: नवरात्रि के आठ दिनों में, नौ विभिन्न देवियों की पूजा होती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री शामिल हैं.

Q: क्या नवरात्रि के आठवें दिन को महागौरी देवी की पूजा करना महत्वपूर्ण है?

Ans: हां, महागौरी देवी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की आदर्श और महत्वपूर्ण पूजा है, और इसे विशेष धार्मिक महत्व दिया जाता है.

Q: कैसे महागौरी देवी की पूजा की जाती है?

Ans: महागौरी देवी की पूजा में भक्त उनके चरणों की पूजा करते हैं, व्रत और अनुष्ठान करते हैं, और मन, वचन, और क्रिया से उनकी पूजा करते हैं. भगतों को श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजना चाहिए.

Q: नवरात्रि के बाद क्या होता है?

Ans: नवरात्रि के बाद, दशहरा मनाया जाता है, जो भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाता है. इसे दुर्गा पूजा के बाद का महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है.

Leave a Comment