माँ दुर्गा आरती, Maa Durga Arti in Hindi, Pdf: माँ दुर्गा आरती भगवान दुर्गा की महिमा, शक्ति और प्रेरणा को स्तुति करने का एक प्रमुख धार्मिक पाठ है। यह आरती रोजाना पूजा के समय गाई जाती है, जिससे भक्तों का माँ दुर्गा के प्रति भक्ति और समर्पण दिखाया जाता है। इस आरती में माँ दुर्गा के रूप, गुण, और कार्यों की महिमा को बयां किया गया है, जिससे भक्त उनके प्रति अपना समर्पण और श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इस आरती के माध्यम से भक्त दुर्गा माँ की कृपा, सुरक्षा और आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
Also Read:
माँ दुर्गा आरती (Maa Durga Arti in Hindi)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी॥
माँ दुर्गा आरती॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दो नैना, चंद्रवदन नीको॥
माँ दुर्गा आरती॥
कनक समान काया, रति चंदन की।
जय माँ अम्बे गौरी, हर्षित भवानी॥
माँ दुर्गा आरती॥
कन्धे मुँह खपरी, बाहे बिचौली।
नाग फनी नकेरे मुँह को मिले॥
माँ दुर्गा आरती॥
हंसती शुव्रवदन, शोणधर वरना।
राजत कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती॥
माँ दुर्गा आरती॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खपारी।
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
माँ दुर्गा आरती॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम जोती॥
माँ दुर्गा आरती॥
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
माँ दुर्गा आरती॥
चन्द मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरी।
मधुकैटभ दो अधम को मारे सुरारी॥
माँ दुर्गा आरती॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पत्राणी॥
माँ दुर्गा आरती॥
चौसट्ठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरो।
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरू॥
माँ दुर्गा आरती॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भर्ता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख संपत्ति कर्ता॥
माँ दुर्गा आरती॥
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥
माँ दुर्गा आरती॥
कांचन थाली राजत, चाँदी की दाला।
पावक देवों आरती, श्री भैरव ना धारा॥
माँ दुर्गा आरती॥
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
माँ दुर्गा आरती॥
माँ दुर्गा आरती Pdf
माँ दुर्गा आरती Video