दुर्गा कवच स्तोत्र पाठ | Durga Kavach Stotr Paath

दुर्गा कवच स्तोत्र एक प्राचीन संस्कृत मंत्र है, जो माँ दुर्गा की कृपा और सुरक्षा के लिए प्रशंसापूर्वक पाठ किया जाता है। इस स्तोत्र में माँ दुर्गा के विभिन्न नामों का स्मरण किया गया है और उनकी महिमा गाई गई है। दुर्गा कवच स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को भय, दुर्भाग्य, रोग, दुश्मन, और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र का नियमित उच्चारण करने से सभी प्रकार के अशुभ ग्रह दोष नष्ट होते हैं और उत्तम फल मिलता है। दुर्गा कवच स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, सम्मान, और शांति की प्राप्ति में मदद मिलती है।

दुर्गा कवच स्तोत्र पाठ | Durga Kavach Stotr Paath

दुर्गा कवच स्तोत्र पाठ

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

त्रिगुणात्मिके त्रिपुरे त्रिनेत्रे त्रिविक्रमे। त्रिदशाध्यक्षे त्रिविद्ये त्रिभुवने त्रिमालिके॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सर्ववांग्मये सच्चिदानन्दायै विश्वरूपिणि। वेदान्तामध्ये विचक्षणे भक्तानां अभयदायिनि॥

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिं शोकं तरसि दुःखं। दैन्यं श्रीः कीर्तितं तेऽत्र मुक्तिर्भजतु भक्तितः॥

स्वर्गापवर्गनरकेषु सर्वास्त्रेषु परिपूर्ता। त्वद्वज्रकरणे देवि नमस्तस्यै नमो नमः॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सर्वदारिद्र्यदुःखहानि सर्वरोगविनाशिनि। सर्वसिद्धिप्रदे देवि माता रूपेण संस्थिता॥

जय जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते। त्राहि त्राहि महादेवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥

या देवि सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनेन दुर्गा स्तोत्रेण भक्त्या यः पठति स्तोत्रकम्। दुर्गास्तोत्रं सहस्रं च सर्वयज्ञकृतां भवेत्॥

इति श्रीदुर्गा कवच स्तोत्रं सम्पूर्णम्।

आपको दुर्गा कवच स्तोत्र पाठ करने के लिए धन्यवाद! यह स्तोत्र माँ दुर्गा की कृपा और सुरक्षा के लिए प्रभावशाली माना जाता है। माँ दुर्गा आपको सभी शुभकामनाएं दें। जय मां दुर्गा!

ये भी पढ़े:

FAQ

दुर्गा कवच स्तोत्र क्या है?

उत्तर: “दुर्गा कवच स्तोत्र” एक प्राचीन संस्कृत मंत्र है, जो माँ दुर्गा की कृपा और सुरक्षा के लिए प्रशंसापूर्वक पाठ किया जाता है। इस स्तोत्र में माँ दुर्गा के विभिन्न नामों का स्मरण किया जाता है और उनकी महिमा गाई गई है।

“दुर्गा कवच स्तोत्र” का पाठ कैसे करें?

उत्तर: “दुर्गा कवच स्तोत्र” को शुद्ध मनस्क और भक्ति भाव से पाठ करें। ध्यान और शुद्ध भाव से स्तोत्र का पाठ करने से उसका अधिक फल मिलता है।

“दुर्गा कवच स्तोत्र” का पाठ का क्या महत्व है?

उत्तर: “दुर्गा कवच स्तोत्र” का पाठ करने से व्यक्ति को भय, दुर्भाग्य, रोग, दुश्मन, और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र का नियमित उच्चारण करने से सभी प्रकार के अशुभ ग्रह दोष नष्ट होते हैं और उत्तम फल मिलता है।

“दुर्गा कवच स्तोत्र” का पाठ कब और कैसे करें?

उत्तर: “दुर्गा कवच स्तोत्र” को सुबह और सायंकाल के समय अध्यात्मिक वातावरण में शुद्ध मनस्क और अनुष्ठान भाव से पाठ करें। इसे नियमित रूप से पाठ करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और दुर्गा माता की कृपा मिलती है।

“दुर्गा कवच स्तोत्र” के लाभ क्या हैं?

उत्तर: “दुर्गा कवच स्तोत्र” के पाठ से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, सम्मान, और शांति की प्राप्ति में मदद मिलती है। यह स्तोत्र भय, दुर्भाग्य, रोग, दुश्मन, और नकारात्मकता से मुक्ति प्रदान करता है।

Leave a Comment