माता काली, या महाकाली, हिंदू धर्म में परम शक्ति का प्रतीक हैं। वे भगवान शिव की पत्नी पार्वती का उग्र और भयंकर रूप हैं, जिन्हें विनाश और सृजन दोनों का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी माना जाता है। काली का नाम “काल” से आता है, जो समय और मृत्यु का प्रतीक है। उनके बारे में विस्तार से जानकारी नीचे दी गई है
माता काली का परिचय
नाम और अर्थ
- काली: “काली” का अर्थ संस्कृत में “समय” या “मृत्यु” है, और वे काल का स्त्री रूप मानी जाती हैं।
- अन्य नाम: महाकाली, कालिका, श्यामा।
स्वरूप
काली का रूप भयानक और उग्र है, जो उनकी शक्ति और विनाशक क्षमता को दर्शाता है:
- वर्ण: काला या श्याम वर्ण, जो अज्ञानता और अंधकार का प्रतीक है।
- नेत्र: तीन नेत्र, जो अतीत, वर्तमान, और भविष्य को दर्शाते हैं।
- मुख: भयंकर रूप, जीभ बाहर निकली हुई, जो उनके क्रोध और उग्रता का प्रतीक है।
- हस्त: चार हाथ, जिनमें वे खड्ग (कृपाण), सिर, अभयमुद्रा (भय से मुक्ति का आशीर्वाद), और वरमुद्रा (वरदान देने का संकेत) धारण करती हैं।
- मुकुट: कपालों की माला, जो मृत्यु और नश्वरता को दर्शाती है।
- वस्त्र: रक्त और अंगों से सुसज्जित, जो बुराई पर विजय का प्रतीक है।
- वस्त्र: रक्त से सना हुआ वस्त्र।
वाहन
- शव (मृत शरीर) या सिंह, जो उनके शमशान काली और दुर्गा के रूपों को दर्शाता है।
माता काली की आरती, Mata Kali ki Arti
जय अम्बे काली
जय अम्बे काली, जय अम्बे काली। महाकाली जय अम्बे काली॥
दुष्ट दलन, रक्षित, राक्षस हारी। माहेश्वरी जय चण्डी भवानी॥
जय अम्बे काली, जय अम्बे काली। महाकाली जय अम्बे काली॥
श्यामलांग कांति, बालारुण मुंडमाल। कोटिक चन्द्र दिवाकर जले तव शिरोमाल॥
जय अम्बे काली, जय अम्बे काली। महाकाली जय अम्बे काली॥
शुम्भ निशुम्भ बिदारक, रक्तबीज विनाशिनी। चण्ड मुण्ड हंतारक, अंबालिका आदिशक्ति॥
जय अम्बे काली, जय अम्बे काली। महाकाली जय अम्बे काली॥
सिंह वाहन, रक्षक, रुद्राणी रुद्राणी। त्रिपुरारि शंकरी, शंकर मुनि ज्ञानी॥
जय अम्बे काली, जय अम्बे काली। महाकाली जय अम्बे काली॥
अट्टहास करालास्य, विकराल भवानी। विनाशिनी महिषासुर, बमणी काली भवानी॥
जय अम्बे काली, जय अम्बे काली। महाकाली जय अम्बे काली॥
पतिव्रता तुलसीदास, करुणा निधान। अम्बे शक्ति, काली त्रिनयन जय जय॥
जय अम्बे काली, जय अम्बे काली। महाकाली जय अम्बे काली॥